हाँ हम दर्द लिखते हैं
हाँ साहब हम दर्द लिखते हैं,
क्योंकि हम जज्बात रखते हैं।
मानते हैं ,हम बहुत भावुक है हमारा मन,
अपने या पराए किसी को दर्द हो हम सिसकते हैं।
अपनो के लिए ही नही सीखा हमने जीना,
गैरों के काम भी आएं पूरा ख्याल रखते हैं।
मन थोड़ा बहल जाता है जब कलम चल जाता है,
हम अपने दर्द कम करने को दर्द लिखते हैं।
कभी खुशियां लिखना नसीब नही होता हमको,
खुशियों का तो पता नहीं, हमे गम थोक के भाव मिलते हैं।
अब छोड़ दिया है गमों पर रोना हमने,
जख्म मिल जाता नया जब तक पुराना सिलते हैं।।
अब रास आ गया हमें दर्दे गम का हर तराना,
हम जितनी आह भरते लोग उतनी ही वाह वाह करतेहैं।
मत सवाल किया करो कब लिखा किसको क्यों लिखा,
हम सरफिरे हैं दर्द जमाने का अपना समझते हैं।
कोई दर्द गम कोई गिला नही अन्जू,
हमें नाज है हम दर्दो अल्फाज को बयान करते हैं।
तन्हां रहना पसंद है हमें इन खुदगर्ज रिश्तों से,
नफरत है हमें उस हर शख्स से जो दो दो जुवां रखते हैं।
यों तो मेरी जिंदगी पर नेमत है उस प्रभू की,जाने क्यों अपनी खुशी से ज्यादा परवाह औरो के गम की करते हैं।
कमी है हममे हम नही मानते दकियानूसी बातें।
हमें फर्क। ही पड़ता लोग क्या कहते हैं।
सबको खुशी भरपूर न दे सको मेरे मौला कोई बात नहीं, उभर आती हैं टीस जब किसी को उम्र भर तड़पते देखते हैं।
नही होना शामिल हमें पत्थर दिल जमाने में,
हमें कोई दर्द नही जो हम सबसे अलग दिखते हैं।
जीवन मृत्यु सच है दुनिया का कब हम इससे मुकरते है,
पर प्रश्न उठा जाता है ऐसा क्यों जब कमउम्र बिछड़ते हैं।
Niraj Pandey
27-Aug-2021 01:10 PM
बहुत खूब👌
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Seema Priyadarshini sahay
27-Aug-2021 10:22 AM
बहुत ही खूबसूरत😢मार्मिक रचना
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Renu Singh"Radhe "
27-Aug-2021 08:55 AM
वाह 🎊👌🏻
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